करां हथाई

भगवती श्री करणी जी कृपा स्यु आपसे या वेबसाइट शेयर कर रियो हूं। जठे मायड़ भाषा रा हेतालुवाँ री बात जोर शोर उठाई जासी सागे ही 

सागे ही राजस्थानी रा शिरमौर कवि साहित्यकारा री बंतळ स्यु रूबरू करावतो रेसी।

मायड़ भाषा रा हेतालुवाँ री बात

Mind and Body practice with origins in ancient Indian Philosophy

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चावळ ऊपर चारणी,सगत रचे संसार,
सकलाई रो शंकरी,पाय सके कुण पार।।

 

भगवती श्री करणी जी की महिमा और शक्ति को कौन जान सकता है वे चाहे तो एक चावल के दाने पर सृष्टि की रचना कर सकती है।

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