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PRAKASH BAISA
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PRAKASH BAISA
अन्नदाता के चार धाम की यात्रा सम्पूर्ण होने पर कवित
ओ मझ में अटको पुत तिहारो
तू है सखा बड़भाग्य बडेरो
चरणा रो मां दास बणाकर सुखधाम निज राखो
माँ प्रकाश धरो सिर हाथ मात मैं थारो शरणाई
चरणा सूं लगा-लो चारणी,मन घबरावे है ।
हे खिड़याणी रखलो सदा दास आपके चरणों में
दया करो मात् भंवरजाई…
सुखधाम धिराणी तारण बेगी आई
श्री इन्द्र बण्या प्रकाश सगत करणी सुखधाम सजावत है
अन्नदाता मोपे ऐसी किरपा करो माई
म्हारीअरज सुणो प्रकाश मात
प्रकाश मां किरपा करो जी आप ही घणी
अन्नदाता थारी महीमा गाऊं मां प्रकाश
भगता रे भावे जी ओ मन, प्यारो लागे औरण वन
रट भोला मनड़ा मात प्रकाश को….
अम्बे माँ आपश्री प्रकाश जगत में,सब सगत्यां सिरताज
अन्नदाता थासूं भाळू माँ प्रित पुराणी
सज रियो श्री करणी सुखधाम
श्री करणी सुखधाम सोवणो,आईदान रे बास रे
झूलो झूले जी खिड़यानीझूले बैठाया भँवरदुलार
इंद्र बाईसा बण्या प्रकाश मा खिडीया कुल अवतारी है
माँ खिडियाणी को मात मेरी भँवरदुलारी को
कृपा कर माँ खिड़ियाणी,दुर्गा रूप धिराणी
माँ प्रकाश ही सहाय करे तब,काळ बिगाड़ कछु नही पावै
बाईसा तो रास रमै जी. संग म नवलख सारी जी
तीजो रूप लिया छ आवड़ आई
माँ प्रकाश लाज रखै जब
मनाऊ मै तो माँ प्रकाश सगत्ती
प्रकाश अम्बा राजत राज ढुढाड़े
थारो बड़पन बिरद विचारो जी
अर्ज सुणो माँ प्रकाश धणी
बधाई हो बधाई मां जन्मदिन री बधाई है
आज घड़ी रंग छाई,अन्नदाता स्वीकारो बधाई
जन्मदिन आयो अम्बे मात,अवल बधाई अन्नदाता
थाने जन्मदिवस री अवल बधाई आप स्वीकारो अन्नदाता
अन्नदाता प्रकाश माँ की प्रभाती चिरजा
अम्बै मैं तो करूं हूँ पुकार करीज्यू !अम्बै म्हारै आज्यो ज्यूँ वेग हरीज्यूँ !
आधार तुम्हारो प्रकाश अम्बा, पुकारत बेग पधारो
अद्भुत परचो आपरो माँ मनडो गाय रयो है
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी
अम्बे जी रो अचल अखाड़ों सुचल हैं
आज खिड़िया कुल अवतरी सगत माँ प्रकाश जी
इण कलजुग रे मांय अम्बिका कोई न साई जी आरत वाणी सुण खिड़यानी दौड़ी आई जी
जी म्हारे अन्नदाता स्यूँ आछो लागे आईदान रो बास
धिन धिन धनियाणी,सांची सुरराणी,मोटी मावड़ी
जो प्रकाश जपे उठता झुक
बिन बोल्या अम्बे कैसे कहूँ खिड़ियाणी म्हारे मन री आश
मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान.
म्हाने राखलयो अन्नदाता थारे पास,प्रकाश मात थारा चरणा रे
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई
सगत मात प्रकाश सहाई,
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अन्नदाता के चार धाम की यात्रा सम्पूर्ण होने पर कवित
सगत मात प्रकाश सहाई,
।। प्रभाती करनल मां री ।।
करणी कदै ना किन्ही इतनी तूं देर आगे