इन्द्र अम्बा मदत चढ्या हद मेरी !
!! आद्या शक्ति श्रीइन्द्रबाईसा के मामाश्री हिंगलाजदान जी बारैठ चारणवास !!
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विक्रमी संवत 2001 मे भगवती भवानी अपने ननिहाल गांव चारणवास पधारे उस समय अनेकानैक कवियों ने सृजन किया था, जागावतजी ने भी अनेक पद्य रचनाये बनाई थी, उन्ही मे से भाषा भाव व ऐतिहासिक प्रमाण लिये यह सुन्दर रचना है !!
!! चिरजा !!
इन्द्र अम्बा मदत चढ्या हद मेरी !
देवी ध्यायां करी नहिं देरी !!
सांवऴ गोरो नो लख सकती,
चांवड संग चलेरी !
आवड रूप इन्द्र आगाऊ,
लक्ष्मी रूप लखेरी !!1!!
सुरपत आय’र इन्द्र सकत पर,
कंचन चँवर करेरी !
मुनि जन तो पर ब्रह्महि मानत,
अहिपत जस उचरेरी !!2!!
डम डम डैरू अरू इक डंक्यो,
घम घम घूघर गैरी !
सम सम बजत सनाय सरंगी,
झम झम झांझ बजैरी !!3!!
छटा देख अमरहि भया चक्रत,
घटा पुसब उमगैरी !
लटा खोल बाघन लांगड़िया,
थेई थेई नाच करैरी !!4!!
मिगसर मास प्रथम पख मांही,
एकैं तिथ दिन हैरी !
चारण वास पधार्या चंडी,
बार रवी शुभ हैरी !!5!!
दुख सब दूर किया जगदम्बा,
सुख संपत सँचरैरी !
कह हिंगलाज दान कर जोड्यां,
ब्रक्ष कलप वरसैरी !!6!!
जागावत हिंगऴाजदानजी चारणवास !!
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