चारण जाति का पौराणिक इतिहास
चारण जाति का अस्तित्व सृष्टि के सर्जन काल से ही देखने को मिलता हैं, हमारे प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ में यजुर्वेद में भी चारण जाति का उल्लेख मिलता हैं। यजुर्वेद की एक ऋचा में ‘चारणाय’ शब्द आया हैं जो यजुर्वेद के अध्याय 26 मंत्र 2 में इस प्रकार मिलता हैं।
यथेमां वाचं कल्याणी मावदानि जनेभ्यः। ब्रहाराजन्याभ्या 28 शूदीय चार्याय च स्वाय चारणाय च ।
चारणों की गणना देव जाति के रूप में पौराणिक धर्म ग्रंथों में देखने को मिलती हैं। इनका उल्लेख वेद, महाभारत, रामायण, श्रीमद्भागवत, मत्सय पुराण, वायु पुराण, स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, गणेश पुराण आदि धार्मिक ग्रंथों में देखने को मिलता हैं।