आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
माँ करणी इंद्रेश अन्नदाता को अपने
गाँव घर में बुलाने के भाव की चिरजा
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी
राजी डूंगरगढ वासी
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी
गली गली रंग गुलाल उडावत,
बरसे पहुप नभ बासी!
भारत बैंड बाजा बजे सुंदर,
पंकज प्रेम पियासी!
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(१)
नमो नमो घर घर में नाचत,
दरशण देखण दासी!
आच्छो डूंगरगढ़ आच्छो लागे,
नहीं मथुरा नहीं काशी।
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(२)
काळी कुमख्या करणी आवड़ा,
लाल धजा लहरासी!
सती हिंगलाज सावत्री उमा,
राग रागनी गासी!!
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(३)
मोतीपाक मिठाई घेवर,
मोहन भोग मंगासी!
चकी चावळ चाट चूरमा,
छप्पन भोग लगासी!!
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(४)
जग रही जोत आरती दीपक,
दुर्गा दरश दिरासी!
भाग बडा डूंगरगढ़ भगती,
जननी आप जीमासी!!
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(५)
लीछमण लिखी आपरी चिरजा,
पंकज दरश पियासी!
सूवरण वंश जात रो सोनी,
बजूंहूं डूंगरगढ़ बासी!!
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
आज म्हांरे करणादे घर आसी(६)
इस चिरजा में जैसें डूंगरगढ़ का
नाम है वैसें आप जिस गाँव में गायें
तब उसी गाँव का नाम ले सकते
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