अम्बाये मोरी बीसोतर कुल भाणजिलै जोधाण बिराजैजी !!
! चिरजा शक्तिदानजी कविया सेवापुरा कृत !!
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सेवापुरा सांसण सुकवियों का सनातन साहित्य से संपूरित गांव, जिसे छोटी काशी नाम से भी विभूषित किया जाता है, शक्ति भक्ति साहित्य के सृजनहारों की सुदीर्घ सूची के ही माणिक्य शक्तिदानजी कविया की सुन्दर चिरजा जिसमे भाषा व भाव का अनूठा मणि कांचन मेल किया गया है !!
अम्बाये मोरी बीसोतर कुल भाण
जिलै जोधाण बिराजैजी !!
शुंभ निशुंभ सँघारणी,
महिष मारणी माण !
निरजर व्याधि निवारणी
कर धारणी कृपाण !!
समर असुरां हूं साजै जी !!1!!
आई जैशाणै अब्बल,
बाई फिर बीकाण !
समदर जांई इन्द्र शकति
जनम्याई जोधाण !!
बऴू कवि कुऴ री बाजै जी !!2!!
पीथल री सुणी प्रेरणा,
तंग करण तुरकाण !
आई राजल आगरै,
समझायों सुलताण !!
पीर सब कीन पराजै जी !!3!!
आरती सुणि आवै उमा,
डोकरड़ी भरि डाण !
गज कारण त्याग’रू गरूड़,
पुऴियो पुरूष पुराण !!
भवा उण गतिहूं भाजै जी !!4!!
सुणियां दुणियां मैं सरब,
शकत्यांरा सहनांण !
मिऴिया सो सांप्रत मनैं,
इन्दू मैं अहनाण !!
तेज रवि किरण तवाजै जी !!5!!
कबियों सकतो यों कियो,
गिरजा माँ को गाण !
चारण कुलरी चंकिडा,
साय करै सुरराण !!
नहचै भक्तनिवाजै जी !!6!!