अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो

!! चिरजा !! श्रीमढ खुङद मे बणियोङा भवन री, जिणरो सहज रूप मे वरणाव करियो है हिंगऴाजदान जी जागावत !!
®====®====®====®====®

कैवत है जठै रवि आपरो उजास नी पूगाय पावै उठै कवि री कल्पना विचार शक्ति पूग जावै ने सृजन रो साकार रूप आकार लेय लेवै, शक्ति भक्ति साहित्य रा सृजणहार कवियां मे शुमार हिंगलाजदान जी जागावत श्रीमढ खुङद धाम री अनूठी दो रचनांवा बणाई जिणमे ऐक प्रस्तुत है, दूजी मे भवन रा भाग्य ने भलो कहियो है कि “भवन तैं तो भजन कर्यो काहा भारी, तो मे ब्राजत जग महतारी” तो इण प्रस्तुत चिरजा मे श्रीमढ खुङद का भौगोलिक व नक्शा को वरणन करियो है अर प्रौऴ री ऊंचाई रो अंदाजो देशाणै रे दरवाजै रे जोङै बतायो है, गायन मे सुंदर चिरजा पारम्परिक विषय सूं हटकर शैली मे है !!

!!रागः भैरवी आसावरी !!

अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !
सो सह शकति सरायो !!
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !! टेर !!

दिशि पूरब झांकत दरवाजो,
कोट तणों करवायो !
ऊँचा पण देशाण अन्दाजै,
लोयण मोय लखायो !!
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !!१

बुरज उतर वारी पै भारी,
“भगवति-भवन” बनायो !
ताहि नजीक सरिसतूं कूवै,
श्री जल सो सरसायो !!
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !!२

करण निरत मँढ के नजदीकी,
चारु महल चुणायो !
द्वार जिकण नांवू शुद्ध आंकां,
“करनल” रो लिखवायो !!
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !!३

कीर्ति सुकवि गढ़ की को बरणे,
पार न को अजु पायो !
आसति छवि अवलोकि दृगां उण,
नाक घणों सिरनायो !!
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !!४

उण मूरति सूरति उण आगें,
हौं गुण गा हरषायो !
कह ”हिंगलाज” कृपा करि केता,
संकट विकट नसायो !
अम्बाहे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो !
सो सह शक्ति सरायो !!५

जागावत हिंगऴाजदानजी चारणवास !!

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KARA HATHAI

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading