अवतरि औरूं आविया,गांव खुड़द घंटियाल !

!! चिरजा भगवती श्रीइन्द्रबाईसा महाराज की ! जागावत हिंगऴाजदानजी कृत !!
®====®====®====®====®

जागावत हिगऴाजदानजी शक्ति भक्ति के साहित्य सृजन मे ऐक मोटो नाम हा, माँ भगवती का अनन्य उपासक भी हा, और भगवती की उन पर कृपा भी अखूट रही सदा सर्वदा, भगवती की इस चिरजा में मातेश्वरी के जन्मदिवस के समय ने इस अनोखी डिंगऴ की विधाशैली मे प्रस्तुत करियो है जो कि देखण जोग है !!

!! दोहा !!

अवतरि औरूं आविया,
गांव खुड़द घंटियाल !
मन कर चिन्ता तूं मती,
लखि लोयण कलिकाल !!

मनुष तन धारि महमाया,
हरण दुख सेवकां आया !! टेर !!

वेद ऋतू ग्रह भव विमल,
सम्वत इण सुरराय !
साढ़ शुकल नवमी शुकर,
अवतरिया जग आय !!
घणा गुण देव मिलि गाया !!
मनुष तन धारि !!1!!

गढ़वाड़ा गैढ़ा तणी,
कवि गण बरणै क्रीत !
सुर-तिय सुरलोक सूं ,
गाया मंगऴ गीत !!
महा मुनि शारदा माया !!
मनुष तन धारि !!2!!

त्राता जग करणी तणे,
भारी मँढ बुरजाऴ !
इन्द्र पधारै ईश्वरी,
करबा जप तिहुँ काऴ !!
असुर तप देखि अकुऴाया !!
मनुष तन धारि !!3!!

शुंभ निशुम्भ का साथ में,
फाका जितनी फौज !
थिर अमरापुर थावियो,
दऴ उण शक्ति दनौज !!
सो ही हैं इन्द्र सुरराया !!
मनुष तन धारि !!4!!

संकट अधिक नसाविया,
अवतरि जग में इन्द !
हर्यौ तिमिर तिहुँ लोक रो,
चारण कुल रै चन्द !!
चकोरां कीन्ह चित-चाया !!
मनुष तन धारि !!5!!

आसति लखि ”हिंगलाज” अति,
वन्दे कदम विशेष !!
गांव सरब गढ़व्यां तणैं,
इण बिरियाँ “इन्दरेश” !!
छत्रां री छाजैला छाया !!
मनुष तन धारि महमाया,
हरण दुख सेवकां आया !!6!!

जागावत हिंगऴाजदानजी चारणवास !!

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KARA HATHAI

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading