इन्द्रबाई आये कृपा करि आप
!! चिरजा !! जागावत हिंगऴाजदान जी कृत शक्ति भक्ति, श्रध्दा आस्था समर्पण भाव एवं अपने जीवन मे घटित घटना का सटीक चिरजा मे वर्णन !!
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इन्द्रबाई आये कृपाकरि आप !
बड़ापण राजतणूं भारी !! टेर !!
पाप कोऊ प्रकट्यों मों पिछलो,
मैं मति भयो जु मन्द !
मा मन बिल्कुल कुटिल हमारो,
भूल गयो धजवन्द !
फेर किरपा अणपारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि अाप !!1!!
अम्बा रेल उलांघतां हे,
पड्यो रपट मैं पाव !
उण बिरियां मों ईश्वरी,
बिल्कुल हो न बचाव !
करी थैं खासा रखवारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करी आप 2!!
याद कियां बिण मो अजू जी,
अम्बा करी उबेल !
जन की मूर्छा जगी न जब तक,
रही ठौर डट रेल !
बहुत विधि जब हौं बलिहारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप !!3!!
गज तारण कारण हित गोविन्द,
आये गरुड़ उड़ाय !
आतुरता भारी लखि इन्दू,
रहे हरी बतलाय !
अधिकता बड़ां-बड़ी वारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप !!4!!
नासति मात जमानां मांहीं,
आसति आप अपार !
कीन्हां आप प्रवाड़ा कैता,
सकति बड्यां अनुसार !
छिति छाय रह्यो भारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप !!5!!
देखि ध्वजा मन्दिर अति सुन्दर,
असुर भगैं अकुलाय !
विकट शक्ति भक्ति लख जनकी,
संकट रहे नशांय !
कीरति कवि गाय रहे थारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप !!6!,
अनुचर तव नानाणां वालो,
गावै गुण ”हिंगलाज” !
माता बात करी घण मोटी,
इण बिरियां में आज !
भयो यो परवाड़ो भारी !!
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप !!7!!
जागावत हिंगऴाजदानजी चारणवास !!