इन्द्र अम्बा कैसे सुमेर जिवायो ।
!! चिरजा शक्तिदानजी कविया सेवापुरा कृत !!
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सेवापुरा सांसण सुकवियों का सनातन साहित्य से संपूरित गांव, जिसे छोटी काशी नाम से भी विभूषित किया जाता है, शक्ति भक्ति साहित्य के सृजनहारों की सुदीर्घ सूची के ही माणिक्य शक्तिदानजी कविया की सुन्दर चिरजा जिसमे भाषा व भाव का अनूठा मणि कांचन मेल किया गया है !!
इन्द्र अम्बा कैसे सुमेर जिवायो ।
इन्द्र अम्बा कैसे सुमेर जिवायों !
थारों यो अचरज म्हानै आयो ,
बास ध्यावड़ी जातरो कवियों,
अंबा दान कहायौं !
सुत सूमेर तांके सुरराया,
आप खेल हित आयो !!1!!
पैर चिकत कोठा मैं पड़ियों,
पाछों निकलन पायो !
प्रान निकाल दुष्ट पानी नै,
तुरत ही जाहि तिरायो !!2!!
हेर हेर सबही विधि हारे,
पतो कहूं नहिं पायो !
बालक जाय मात सूं बोले,
तव सुत नीर गिरायो !!3!!
अप्रिय बात सुनत उठ आई,
पर्यों मृतक सुत पायो !
गोद उठाय लाय गृह भीतर,
इन्द्र सरन रख वायो !!4!!
अम्बा दान अरज सुन आतुर,
कुछ नां बिलम्ब करायो !
जीव ल्याय पाछों जग जननी,
जाणों नींद जगायो !!5!!
अगम प्रवाड़ा थांरा अम्बा,
पार किणी नहिं पायो !
माधोसिंह सकती नै मानी,
पूरण परच्यों पायो !!6!!
गंगादान पालावत गायकै,
बिरद जुइन्द्र बनायो !
आवड़ रूप आप श्रीअम्बा,
सुत हित क्यों तरसायो !!7!!