लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई
श्री करणी इंद्रेश स्वरूपा चारण कुल तारण हारण
जगत जननी प्रकाश बाईसा महाराज की चिरजा
!! टेर !!
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई
!!अंतरा!!
बिरम नाथू तणी बेटी,जलम स्यु पांगली जाई,
लांघकर पांगपणो लोप्यो, चारणी आप चलवाई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—-
नरपत दान जहर लीनो,मौत खुद हाथ मरजाई,
दूत जमराज रा डोकर,मोडिया आप भँवरजाई
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—
गिरह बिच गोकुलदान घिर्यो,विपद चौतरफा बरताई,
खड़ी संग आप खिड़ियाणी,लोवड़ी मांय लिपटाई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—
मेटियो रोग आप मोटो,बेद केंसर बतलाई,
दियो आदेश धनियाणी,भेजिया आप द्वय भाई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई–
मुरख जो बिरद नहीं माने,जगत बिच जाय झुठलाई,
कालिका रूप थे कीनो,चंडिका नाहर चढजाई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—-
धिराणी थू तिहुँ लोक तणी,शिवा थूं शंकरी साई,
जोगमाया थू ही माया,आवड़ा इंद्र थूं आई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—
विपद बिच कुंवर विराज पड्यो,मान रख मात जग मांई,
बणा ल्यो आपरो बेटो,अरज म्हारी आपसु आई,
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महामाई—-
रचना- कुँवर विराज सिंह शेखावत
तारानगर ,चुरू
हाल- जयपुर