मनड़ा रट मेहाई मात देशाणा वाळी रे,
कुँवर विराज कृत श्री करणी जी की चिरजा
चिरजा- देशाणा वाळी रे
(तर्ज- दर्शन दो घनश्याम)
!! टेर !!
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणा वाळी रे,
डाढ़ालि मा बड़ी दयालु,काबावाली रे।।
!! अंतरा !!
- जो नर नित ध्यावे जगदम्बा,भांजे दुख भव रा भुजलम्बा,
तरणी तोय डूबती तारे,तारणवाळी रे
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे। - जद सब दांव उलट पड़ जावे,आस नजर कोई नही आवे,
आवे पलक झपँता उड़ती लोवड़वाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
3.
चरण मात रमणो जो चावे, विषय विकार हीन बणजावे,
पावे सुर नर बीच परमपद,अतरी किरपाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
4.
मन स्यूँ शेखे राव मनाई,सँवळी बण पूगी सुरराई,
लाई सुरगलोक स्यूँ लाखण, माँ ममताळी रे
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
5.
अलवर राव पीड़ उठ आई,साद सुणत करली सुणवाई,
मुसलमान रो श्राप दिएडो मेटणवाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
6.
बीठू चौथ तणी सुण बिनती,सांझो ऊंट कियो आ सगती,
कुमति राव कान्ह ने सिंह बण खावणवाळी रे
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
7.
अणदे रे दुमि बण आई,साम्पू साद सुणंता स्याई,
कालू पैथड रो सिर करणी काटणवाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
- लोवड़ मांहि भाण लुकायो, अरक डरत उगणे नही आयो,
हेक चलू में समंद हाकड़ो सोखणवाळी रे।।
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।। - रट रट करणी जो कर राजी,बणी रखावे उण री बाजी,
साझी राखे शान श्री करणी जग बिच वाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
10.
दास “विराज” तणी धनियाणी,कानां कर बाणीकीनियाणी,
तन मन धन सुख तीनू करणी देवणवाळी रे,
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणावाळी रे।।
रचना- कुँवर विराज शेखावत
ठिकाणा- भडुन्दा छोटा(झुंझुनू)
हाल- तारानगर(चूरू)