जगदम्बे मैया, धरता में तेरा देवी ध्यान
।। जय माँ करणी ।।
जगदम्बे मैया, धरता में तेरा देवी ध्यान
मेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2
शिवजी की राणी, पहाड़ा मे बसनी,
धरता में तेरा देवी ध्यान….
ब्रहमा विष्णु शिव थाने मानी,
तिनो लोक सूं रही ना छानी,
जहां देखु वहां आप भवानी,
कहता है वेद पुराण…2
मेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2
गदा खड़ग तेरे कर मे साजे,
सिंग चढ़ी पर्वत पर गाजे,
झालर शंख बधावत बाजे,
दुष्ट बच्यो ना बेईमान…2
मेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2
सजा चक्र भारत मे आई,
कोरव दल की फौज खपाई,
चौषठ जौगणी संग मे लाई,
भैरू तेरो है प्रधान…2
मेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2
।।छंद विधा।।
दुर्गे महारानी पहले पार्थो मनाई है
बैरी दुश्मन को तूं मारने को आई है
सतयुग में तूं पार्वती तुं हिमाचल के जाई है…2
भस्मासुर खपावण खातर शिव शंकर ब्याही है
त्रेतायुग की लिला तेरी रामायण मे गाई है
दशकधंन को नाश करणे सीताजी बण आई है…2
द्वापर युग मे द्रोपती माँ पांडवा मे आई है
कोरवा का खप्पर भरने कुरूक्षेत्र मे जाई है
कर्ण द्रोण भीष्म मारया पांचा की लुगाई है…2
पुर्णापुर मे बेटी राजा भीम की बताई है
जोरा शिशपाला मारया रूकया जैसा भाई है
कृष्ण की अर्धग्या बणकर मंदिर मे पुजाई है…2
आमेर मे शिला देवी ज्योत तो सवाई है
मान सिंग माधो सिंग राजा जैपर बैठया ध्याई है
काबल मांही खांडयो बाजयो हाजर बठे आई है…2
जैपर बैठया जीत राजा मान की करवाई है
कांगड़े कलकते वाली देवी तूं कहाई है
सबसे मोटी धाम नगरकोट मे बताई है
पहाड़ के मांह मंदिर उंचो लाटाली कहाई है…2
ओसिया मे शितला तूं सारा सूं धुकवाई है
उजिवण में चांवडा तने ब्राहमणा मनाई है
फालोदी मे ब्रहमाणी तने बांणीया मनाई है
धोलागढ़ की धाम तेरी धमाला मे गाई है…2
आम्बेर मे उदित होके बिलाड़ा मे आई है
सोलह कोस मोटर लागे गुजराता मनाई है
साठीका मे भुजा तेरे बीस मां बताई है…2
नागाणा मे नागणेचा देवी तूं कहलाई है
फौजया वाली देवी तूं तनोट पुजवाई है
भद्रकाली धाम तेरी नाली मे बताई है…2
सिकर वाले पहाड़ पर माँ जिवण कहाई है
हर्षो भेरू अगवानी तने सुनारा मनाई है
पल्लू के मां धाम देवी तीनया की बताई है…2
देशनोक की करणी मईया बीकाजी मनाई है
इक्कीसवी पीढी मे राजा गंगासिंग ध्याई है
बिना हथीयार शिकार शेर की करवाई है…2
गुरू मेरे ने महर करी जब कंठ भवानी आई है
तेरे ये प्रताप देवी बहोत जगया में पाई है
हर्षे की मंडली विप्र दलुराम गाई है
।।इति।।
हाथ जोड़ मैया करता विनती
रखियो सभा मे मेरो मान…2
मेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2
रचना : दलुराम जी ब्राहमण
(थिराना)