मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान.

भगवती जोगमाया अन्नदाता श्री प्रकाश बाईसा महाराज की चिरजा–
!!टेर!!
मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान.

!!अंतरा!!

थूं गुण सागर भँवरजा मैं अवगुण री खान
बालक दोष भूलकर तारो म्हाने दयानिधान
खिडयानी अब करुणा सुनलयो कान

मैं कपटी झूठो पाखंडी सांची थूं सुरराय,
पण इण नीच दास ने अम्बा अपना लेवो आय
खिडयानी अब करुणा सुनलयो कान

जावूं जहां इस जग मांहि होय रही माँ हार,
हेम हुवे माटी निज हाथ स्यू ,आं दिन स्यु द्यो उबार
खिडयानी अब करुणा सुनलयो कान

दास विराज तणो दुख देखो, धनियानी द्यो ध्यान,
मात प्रकाश महर कर म्हां पर,सगत रखावो शान
खिडयानी अब करुणा सुनलयो कान

कुंवर विराज सिंह शेखावत
तारानगर चुरू
हाल- जयपुर

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