काळो गोरो नृत्य करै मंढ आगे !
काळो गोरो नृत्य करै मंढ आगे !
जगमग जोत जगामग जागै !!
भैरूँजी कटि कछनी रूपाळी,
राजै पाय घूघरा बागै !
तेल फुलेल खवां पर टपकै,
लटी छुटी नंद नागै !!
भैरूँजी झांझ मूंदग ढोल डफ डैरव,
बाजत ध्रागै ध्रागै !
गावत राग छतीस रागनी,
सरगम सुर के सागै !!
भैरूंजी हद हाला प्याला भर पीता,
फिरो खेलता फागै !
रीझ-रीझ थां पै नखराळा,
लारै चौसठि लागै !!
भैरूँजी रामत रमों भ्रात दोऊ भेळा,
अति भरिया अनुरागै !
नाम लियां थांरो घणनामी,
भय सारा ही भागै !!
वासर निशा रहो दोऊ बंधव,
जहाँ सुमरूँ जहाँ आगै !
रामसिंह चरनन को चाकर,
भक्ति दान नित मांगै !!
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