तीन लोक रो ताज कहिजे,श्रीमढ खूड़द धाम।
🔱तर्ज…ऊंचो घाल्यो पालणो….🔱
तीन लोक रो ताज कहिजे,श्रीमढ खूड़द धाम।
शक्त्यां रा सिर मोर थांरो, इंदर अम्बा नाम।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा,इंद्र कंवर अन्नदाता म्हांपर महर करिज्यो सा…टेर
अष्ट भुजा में दुर्गा थे हो,नव दुर्गा हो आप।
आप ही राजल देवल हो माँ, काळी लक्ष्मी आप।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!१!!
आद् शगत हिंगलाज आप हो,आप ही आवड़ अम्ब।
आप ही करणी मात कहिजो,आप ही हो जगदम्ब।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!२!!
संवत गुन्निसो चोसठ माहीं,साढ शूकल तिथ नम्म।
आवड़ सातूं साथ अवतरी,बीस हथी भुजलम्ब।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!३!
धिन्न धिन्न है खूड़द री धरती, धिन्न है मात री मात।
धिन्न है थांरा बहन र भाई,धिन्न है मात रो तात।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!४!!
प्राणां सूं भी प्यारो लागे,श्रीमढ खूड़द धाम।
साचे मन सें सिंवरे ज्यांरा, झट पट होवे काम।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!५!!
अन्न धन्न इज्ज़त आबरू माँ,बगसो आप विशेष।
चरण कमल री भक्ति चाहूं,अरज सुणो इंद्रेश।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!६!!
शरणां गत री स्याय करो माँ,तिरबिध मेटो ताप।
किरपा ऐसी करदो मैया,जपूं रात दिन जाप।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!७!!
सब भगतां री स्याय करो माँ,सुणज्यो खूड़द नरेश।
डूंगरगढ़ रो लीछमण सोनी,अरज करे इंद्रेश।।
म्हांरी रक्षा किज्यो सा…!!८!!
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