प्यारो लागे सा अन्नदाता थांरो ओ मरदानो भेष!

किरपा करज्यो ऐ म्हारी आवड़ अम्बा तेमड़ेवाली (तर्ज)

प्यारो लागे सा अन्नदाता थांरो ओ मरदानो भेष!
ओ मरदानो भेष आपरो ओ मरदानो भेष!
प्यारो लागे सा अन्नदाता थांरो ओ मरदानो भेष!

सागर सुता अवतरी जग मे अघ हरणे इंद्रेश!
आवड़ रूप आप हो अम्बा ध्यावे शेश सुरेश!१!

धोती कुर्ता ओर पनईयां साफो पंचरंगेस!
कड़ा लूंग ओर मूरत सोहे सुंदर रूप विशेष!२!

मारवाड़ मारूधर माहीं दीपे खूड़द देश!
दुष्ट संघारण भक्त उबारण आई माँ इंद्रेश!३!

प्याला भरभर हाला पिवे दारू दाख हमेश!
परवाड़ा सांप्रत सुरराई निरत करे है नरेश!४!

हाथ खड़ग तिरसूल सुहाणो हाजर सिंघ हमेश!
सुर तेतीस करे थांरी कीरत सीस निवावे शेष!५!

अमरावत री आस पुरावो अरज सुणो इंद्रेश!
देवीदान चरण चित धरकर चिरजा करदी पेश!६!

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KARA HATHAI

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading