इंद्रअम्बे रम्मत रास अखाड़ै,
इंद्रअम्बे रम्मत रास अखाड़ै,
परचा पृथ्वी परवाड़ै
इंद्रअम्बे —-
मां आसोज चैत में मांडत,
खेल सुकल पखवाड़ै।
सझि सिंणगार पधारत शकत्यां,
गांव खूड़द गढवाड़ै।।१।।
हड़ हड़ हसत मसत मदिरा मद,
धड़ धड़ सिंह धुवाड़ै।
चड़ चड़ चाव जोगण्यां चोसठ,
धड़ धड़ भुमी धुजाड़ै।।२।।
धूधूकट धृकट धृकट धम धप मप,
बाजा विविध बजाड़ै।
थेई थेई थ्रंग थ्रंग निरत थावत,
गीत संगीत गवाड़ै।।३।।
ढम ढम ढोल घूघरा घम घम,
क्रम क्रम कदम क्रमाड़ै।
झांझर शबद बजत पद झम झम,
रमझम रास रचाड़ै।।४।।
द्रढ हिंगलाज दान हिरदा मैं,
ढाबि कवि ढुंढाड़ै।
गति अदभूत रमत गिरजा नैं,
चिरजा अमृत चखाड़ै।।५।।
🪷🙏🪷🙏🪷🙏🪷