म्हारी इंदर अम्बा अन्न धन्न देवो थे हमेश जी

तर्ज-गर जोर मेरो चाले,हीरे मोत्यां सें…

म्हारी इंदर अम्बा अन्न धन्न देवो थे हमेश जी-2
आवड़ रा अवतार कहिजो,नाम थांरो इंद्रेश जी।
म्हारी इंदर अम्बा…टेर

अष्ट भुजा मे दुर्गा थे हो,सती रूप हिंगलाज जी।
काळी लक्ष्मी सुरसत थे हो,नवलख रा सिर ताज जी।
थे ही करणी मात कहिजो, राखो म्हांरी लाज जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!१!!

संवत गुन्निसो चोसठ माहीं, नवमी शूकरवार जी।
शूकल पक्ष आसाढ रो महिनो,आप लियो अवतार जी।
पूरूष भेष में प्यारा लागो,देवी थे दातार जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!२!!

सागर दान पिता बड भागी,धापू थांरी मात जी।
बहन कंवर सिरदार है थांरा,रतनू चारण जात जी।
पाबू अम्बादान महेश्वर,धन्य भंवर है भ्रात जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!३!!

धिन्न धिन्न है खूड़द री धरती,धिन्न धिन्न राजस्थान जी।
नमो धरा नागोर जिले री,मरूधर माय महान जी।
खुड़द धाम बैकूंठ सूं ऊंचो,सब दुनियां री स्यान जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!४!!

ब्रह्मा विष्नू आपने ध्यावे,ध्यावे शेष शुरेष जी।
तीन लोक में तेज आपरो,ध्यावे सारो देश जी।
साता दीप समान है म्हांरो, खुड़द धाम विशेष जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!५!!

भक्तां ने भक्ति देवो माँ,किरपा करो हमेश जी।
देश विदेश में सोरा राखो,काटो कष्ट कलेश जी।
डूंगरगढ़ रो लीछमण सोनी,अरज करे इंद्रेश जी।।
म्हारी इंदर अम्बा…!!६!!
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