अम्बाये मोरी सह सकत्यां सिरमोडदेवी देशाणै बिराजै सा !

!! चिरजाः… जोगीदानजी जागावत विसन पुरा रचित !!
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श्री जोगीदानजी शक्तिभक्ति साहित्य के साधक, चिरजा रचना मे नैसर्गिक सृजक अनेक राग रागनियों मे रचनायें सृजन की उन्ही मे से यह भाषा भाव व स्वर व राग की अनूठी रचना जिसमें जगदम्बिकाओं मे सिरोमणी शक्ति श्रीकरनीजी के पावन पीठ पर सब शक्तियों के रास रमण का सुन्दर रूपक बांधा है, इसे गायन के सिध्दहस्थ कलाकारों के प्रस्तुतिकरण की भी ऐक प्रकार से चुनौती जैसी ही बात है यह चिरजा अपने परंपरागत मांढ राग की शैली मे ही गायी जाये तभी लय व रिदम बनती है !!

तेमङाराय पीठ पर हो रहे जागरण मे इस चुनौती को शायद कोई सरस्वती पुत्र स्वीकार कर पूरी कर सके, इस आशा के साथ……….

!! सवैया !!

घण बज्जत घूघर पाय अपंपर
लाखूंहि दद्दर नद्द लज्जै !
घण मंडल घूघर बास पटम्बर
बोलत अम्बर मोद बिज्जे !
अति बासव अंतर धूजि धराधर
जोगणी जब्बर खेल जमे !
सिणगार सझै मुख हास सुशोभित
रास गिरव्वर राय रमे !!

बणि भाल तिलक बिसाल महाबर
जोति दिये जिण जोत जई !
खटमेक बहन्न घणू-घण खेलत
मोद महा जिण चित्त मई !
अलकां जुग शीशज बेणि अद्भूत
नागणि चप्पल जेम नमे !
सिणगार सझै मुख हास सुशोभित
रास सगत्यां सब्ब रमै !!

!! चिरजा !!

अम्बाये मोरी सह सकत्यां सिरमोड
देवी देशाणै बिराजै सा !
सखीये सुणो अशरण-शरण अनाद्य
ईश्वरी मरुधर राजै सा !!

भक्त उधारण भगवती,
खळ जारण खयकार !
बड़ चण्डी चारण वरण,
त्यारण लियो अवतार !!
देखतांई भव दुख भाजै सा !!
अम्बाये मोरी बडपण विरद् विचार,
सार नाहर ने आज्यै सा !!1!!

पिता मेह किनियों प्रसिद्ध,
आढी देवल मात !
बीठू दीपा संग बसी,
करनल नाम कहात !!
जंगल घर मंगल मनाईजै सा !!
अम्बाये मोरी सेवगांरी सहाय,
देशाणै महमाय बिराजैसा !!2!!

बैजंती विधि सुर्ग सम,
दुर्गा प्रभा दरसात !
अद्भुत गढ़ में मंढ ऊतंग,
सुदृढ़ कपाट सोहात !!
छत्र कऴशां ध्वज छाजैसा !!
अंम्बाये मोरी अड़ी ही अणभाप,
नैङीजी रे थान निगाइजैसा !!3!!

रचत राम नित चित रूचित,
उचित अखाड़ा आय !
निरत करत नोलख सकत,
ऊचरत राग अमाय !!
गगन धर गौरंभ गाजैसा !!
अम्बाये मोरी धोरड़ियां पै पधारी,
बोरड़ियां से छांह बिराजैसा !!4!!

करनीसर असनान करि,
इष्ट ध्यान अबलम्ब !
मंदिर निज मवाळ मंडी,
जीमत नित जगदम्ब !!
संगतियां मिजलस साजैसा !!
अम्बाये मोरी डोकरड़ी डाढ्याळ,
रेणव रिछपाळ बिराजैसा !!5!!

उदित सुरज सी सूरत तिन,
मनहर मुरति अमन्द !
दृग न टरत छवि देखियत,
चित चकौर गति चन्द !!
देत आनन्द निवाजैसा !!
अम्बाये मोरी आरतिहर अखियात,
मात मेहासदू बाजैसा !!6!!

मेहाई सुर मुकुटमणी,
सरणाई साधार !
जोगीदान जपत जिण,
परवाड़ा अणपार !!
आवड़ हिंगलाज अन्दाजैसा !!
अम्बाये मारी सिघं चढ़ण सुरराय,
बीस हथी माय बिराजै सा !!7!!

अम्बायेमोरी अशरण-शरण अनाद्य,
ईश्वरी मरुधर राजे सा !
अम्बायेमोरी सह सगत्यां सिरमोड़,
देवी देशाणै बिराजै सा !!

जोगीदानजी जागावत विसनपुरा !!

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