अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी

!!अन्नदाता प्रकाश बाईसा की चिरजा!!
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी
माँ प्रकाश महतारी

                             !!  अंतरा !!         

देख दसानन सो नर धरती,राखण धरम रुखारी,
कंस दुष्ट मेटण बण किरशण, चक्र सुदर्शन धारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

फाड़ खम्ब अम्ब जद थूं प्रगटी,भगत प्रह्लाद बिचारी,
चीर दियो हिरणाकुश चंडी,नरसिंह रूप निखारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

चन्ड मुंड मारण जद चढ़िया , सिंह तणी असवारी,
शेख छुड़ावण बणी खुद वाहन, सँभळी रूप संभारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

गेड़ापति रो गरब गालियों, लेकर नवलख लारी,
चील होय नृप दुष्ट चाबियो, भख लिंयो भवतारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

पौष माह शुभ अम्बा प्रगटी,कुल खिड़या किरतारी,
भंवरदान राजल घर बेगा, पावन आठम प्यारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

निर्मल रूप आप निरंजन, वाणी निरमल वारी,
धर बनेडिया धायी डोकर, पावन रूप पधारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी

नाथू बिरम पुत्री पंगली ने,पग बगस्या परचारी,
गोकुलदान बहिन रा गिरिजा,हरिया कष्ट हजारी
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी

भगत अनंत गिंणत नही आवे,जिण री आप रुखारी,
भगत घणा रे पूत बगसिया,काज किया शुभकारी,
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

काज आज अटक्यो खिड़ीयाणी, भगत री विपदा भारी,
लाज विराज तणी माँ लोपे, राखो लोवड़वारी
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी—–

रचना- कुंवर विराज सिंह शेखावत
जयपुर

अन्नदाता रे चरणा कोटि कोटि वंदन।।
जय हो आवड़ करणी इंद्रेश मात की।

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