कर दृग कोर कृपा री !लज्जा मौरी राखौजी मेह दुलारी !!

!! कर दृग कोर कृपारी !!
!!लज्जा मोरी राखो मेह दुलारी !!
®====®====®====®====®

मानदानजी कविया दीपपुरा सीकर माँ भगवती भवानी का अनन्य उपासक और चिरजा सृजन का सिध्दहस्थ साधक, ऐक सूं ऐक बेजोङ रचनांवां बणाई जो कि आज भी समाज मे गाई व सुनी जाती है, मानदानजी की तीन पीढीयों पर बराबर सरस्वति की कृपा चलती आ रही है, अब वर्तमान समय में उनके पौत्र श्रीपालजी व विशालजी चिरजा गायन के सिध्दहस्थ कलाकार हैं !!

कर दृग कोर कृपा री !
लज्जा मौरी राखौजी मेह दुलारी !!

करनल नाम शकत किनीयांणी,
थळवट धांम तिहारी !
बाजे सदा वरण की बाहरू,
सझ नाहर असवारी !!

कवि प्रहलाद कुरन्द हिरणाकुश,
धार्यां हाथ दुधारी !
लेबा शरण दुष्ट ललकारे,
नृसिंह रूप निहारी !!2!!

विकल भयो मैं दीन विभीषण,
दस सिर भीड़ दबारी !
राम सरूप होय कर रक्षा,
थिर शरणागत थारी !!3!!

मैं गजराज दरिद्र मगरमच्छ,
पकङ्यौ तांत पसारी !
डूबत बैर आव डादयाळी,
हरि गत मदद हमारी !!4!!

जग जननी परचा जग जाहर,
बै मत बिरद बिसारी,
करूणा करत “मान” कर जोङ्यां
नासत समय निहारी !!5!!

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KARA HATHAI

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading