धिन धिन धनियाणी,सांची सुरराणी,मोटी मावड़ी

 

!!स्थायी!!

धिन धिन धनियाणी,सांची सुरराणी,मोटी मावड़ी

!! अंतरा !!

करनल सोच कियो भगतां को,
तारण चारण ताणी,
ले अवतार लालधजाळी,
खिड़िया कुळ चमकाणी।

आईदान रो बास अम्बिका,
पावन धर परमाणी,
दाढ़ी वाळी मूरत धराई,
धाबळ ओढ़ धिराणी।।

बैठी इन्द्र मात भवानी,
बीसहथी ब्राह्मणी,
भैरव भ्रात द्वारे ऊभा,
अम्ब तणा अगवाणी।।

जगत पिता महादेव बिराजे,
सहपरिवार सुहाणी,
सगत मात प्रकाश हिरदे स्यूँ,
करत जोत हरखाणी।।

श्री करणी सुखधाम सुरग सो,
राजे जठे रिधुराणी,
दरस मात प्रकाश दिरावे,
करण भगत कल्याणी।।

अन्नदाता प्रकाश अम्बिका,
बोलत मुख सुख वाणी,
दूर करे माँ भगत तणा दुख,
शुभ कर सिर धरताणी।।

दर दर ठोकर खाय देखली,
काट विपद किनियाणी,
लोवड़ मांहि मोय लुकावो,
पूत ” विराज ” पिछाणी।।

कुँवर विराज शेखावत
जयपुर

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Discover more from KARA HATHAI

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading