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बिन बोल्या अम्बे कैसे कहूँ खिड़ियाणी म्हारे मन री आश

भगवती प्रकाश बाईसा महाराज की चिरजा बिन बोल्या अम्बे कैसे कहूँ खिड़ियाणी म्हारे मन री आश अवर न कोई देव री आवे,उर में छवि आभास,ध्यान चरण थारां रो धरकर रसना रटत प्रकाश,बिन बोल्या अम्बे कैसे कहूँ खिड़ियाणी म्हारे मन री…

मां में थारो छूं थारो जननी थारो छूं थारो

मां में थारो छूं थारो जननी थारो छूं थारोथारो छूं में थारो ही रहसू कदै ना होसू न्यारो बालपणे निज गोद लिटाकर दुध पिलाती प्यारोबड़ा भया तो क्यू मेरी मईया काटण लगी है किनारो रूठूं जब मुझे मनाती कह नैनन…

मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान.

भगवती जोगमाया अन्नदाता श्री प्रकाश बाईसा महाराज की चिरजा–!!टेर!!मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान. !!अंतरा!! थूं गुण सागर भँवरजा मैं अवगुण री खानबालक दोष भूलकर तारो म्हाने दयानिधानखिडयानी अब करुणा सुनलयो कान मैं कपटी झूठो पाखंडी सांची…

म्हाने राखलयो अन्नदाता थारे पास,प्रकाश मात थारा चरणा रे

फागण चिरजा अन्नदाता प्रकाश बाईसा महाराज री!!स्थाई!!म्हाने राखलयो अन्नदाता थारे पास,प्रकाश मात थारा चरणा रेचरणा रे अम्बे जी शरणा रे…. पास रहां तो मैं अन्नदाता दरस रात दिन कर लेवांदेखां थाने जोत करंता और माँ करणी री सेवाऔर सुणल्या श्री…

करती सभा जद करनला,जुगति जगत री जांचती

!! दुहा !!कुळ रतनू उजल करण,वरियो नेक विचार,करनल भगतां कारणे, इन्द्र रूप अवतार।। करती सभा जद करनला,जुगति जगत री जांचती,आदेश देकर आवड़ा,भगवती मिलकर बांचती,नवलाख मिल करती नियुक्ति,भगत हित भवतारिणी,अवतार लिंयो मात इंदर, खुड़द मढ़ खमकारिणी।। सिंधुसुता तन धार सांप्रत,प्रगटियाँ परमेशरी,अर…

दुबारे छक आज्यो जी डाढाळघणी खम्मा घंटियाळ।

दुबारे छक आज्यो जी डाढाळघणी खम्मा घंटियाळ।दुबारे छक आज्यो जी डाढाळ (टेर) दाखां री कादंबरी,काढी चतुर कलाळ!सो पीज्यो मेहा सदू,बांका कोट बिचाळ!१! छकी सुरा डोरा सुचल,तेड़ दहूं चिरताळ!गज हलकारो गंजणो,ललकारो लंकाळ!२! डाई लुंका दाहनी,मालाळी मृगमाळ!ऐहड़ा सुगनां आवज्यो,सन्मुख लेय सुंडाळ!३! सुळा…

करणी कदै ना किन्ही इतनी तूं देर आगे

दोहाः-सुधा विभूती औषधी, सत मुख वचन विशेष ।अम्ब अमी भर ओलखो, रहैं कुशल इन्द्रेश ।। चिरजा:- करणी कदै ना किन्ही इतनी तूं देर आगे ।टेर। कर लै कृपा नखेली, युद्ध में तूं ही अकेली ।जस जीत चिज लेली, सगती ना…

आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी

माँ करणी इंद्रेश अन्नदाता को अपनेगाँव घर में बुलाने के भाव की चिरजा आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसीआज म्हांरे करणादे घर आसीराजी डूंगरगढ वासीआज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसीआज म्हांरे करणादे घर आसी गली गली रंग गुलाल उडावत,बरसे पहुप…

करुणामयी किनयाणी मोटो आसरो है थारो

!! जय मां करणी !! करुणामयी किनयाणी मोटो आसरो है थारो माँ आसरो है थारो…….दे दर्शन हे डाढाली माँ जन्म सुधारों म्हारो ।स्थाई। मेहाजी री लाडली देवल दे घर जाई ।आवड़ रा अवतार माँ चारण कुल में आई ।देशनोक में…

लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई

श्री करणी इंद्रेश स्वरूपा चारण कुल तारण हारणजगत जननी प्रकाश बाईसा महाराज की चिरजा लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई बिरम नाथू तणी बेटी,जलम स्यु पांगली जाई,लांघकर पांगपणो लोप्यो, चारणी आप चलवाई,लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश…

धुजया तीनो लोक धरा सब माँ करणी बण्या काळी

धुजया तीनो लोक धरा सब माँ करणी बण्या काळी,करणी बण्या काळी रे धजबन्द लाल धजा वाळी लाखन लाल कोलायत चाल्यो टोळी संग चाली,प्राण पिया प्यारा रा पोखर ओ जुलमी जाळी,धूज्या तीनो लोक धरा जद माँ करणी बण्या काळी दिनकर ने…

   ।। प्रभाती करनल मां री ।।

सोर प्रभाती सुणो सुख सरणी  जागो हे अब जगदंबा अम्बां। भाव सुणो भगती मन भावन   तुम जागो करनल किनियाणी  । जागो जागो जागो जगदंबा अम्बा जागो धर्म पत धणियायी । मां जागो करनल किनियाणी ।(१) भोर भई  है मात भवानी…

मन तरसे मढ जाऊं देशाणे मात मुर्त मन मोवणी

मन तरसे मढ जाऊं देशाणे मात मुर्त मन मोवणी वरण देशाणे अमर धर वरणु करण बसे दुःख काटणीमंदिर सुरग माय बैकुंठ में अंदर सुंदर छवि मढ छाजणीमात मुर्त मन…… खेल सदा खुशहाली रा खेले मां चुहा संग चाहे चारणी मांकेल…

!!म्हाने दरस दिखावण आवज्यौ!!

!!म्हाने दरस दिखावण आवज्यौ!! हिंगल़ाज वंदनादोहाशिवा! उमा! शिवरंजनी, रम्य खंजनी गाल! गर्व असुरदल गंजनी, भय भंजनि ततकाल!! छंद नाराचशिवा! अनूपमेय! शक्ति! सांभवी! मनोहरी! ।त्रिशूलिनी! भुजंग-कंकणा! , त्रिलोकसुंदरी।सुभव्यभाल, केश-व्याल, माळ -लाल, कंजनी।भजामि मात हिंगल़ाज भक्त भीड भंजनी।।१।।ध्वनि मृदंग ध्रंग ध्रंग चारू…

जगदम्बे मैया, धरता में तेरा देवी ध्यान

।। जय माँ करणी ।। जगदम्बे मैया, धरता में तेरा देवी ध्यानमेरी आद भवानी, धरता में तेरा देवी ध्यान…2शिवजी की राणी, पहाड़ा मे बसनी,धरता में तेरा देवी ध्यान…. ब्रहमा विष्णु शिव थाने मानी,तिनो लोक सूं रही ना छानी,जहां देखु वहां…

सगत मात प्रकाश सहाई,

सगत मात प्रकाश सहाई, सिमरे जो मन स्यू सुरराई दीन हीन हो दुख घिर आवे,आश लेय अम्बे दर आवेऔर सुनावे चित की चिंता,पल मांहि देखे प्रभुताईसगत मात प्रकाश सहाई,सिमर जो मन स्यु सुरराई विपदा भौतिकता री व्यापे,काया रोग दोष स्यु…