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chirja चिरजा
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chirja चिरजा
आनन्द छायो जी घर आया भैरू नाथ जी
सूधयाण साणो जाण्यो भैरू, भुल्यो धरम अगवान ।
म्हारा सुखधाम रा भैरव, म्हारी मदद करो मिणधार
मामा थारो ओ परचयो मन भायो
मतवाला जी भैरू मतवाला
सुखधाम रा भैरव आज्यो
ओ मझ में अटको पुत तिहारो
रे मेरा भाई प्यारा,सब-सू न्यारा,भैरव किजो संभाल
तू है सखा बड़भाग्य बडेरो
चरणा रो मां दास बणाकर सुखधाम निज राखो
माँ प्रकाश धरो सिर हाथ मात मैं थारो शरणाई
चरणा सूं लगा-लो चारणी,मन घबरावे है ।
हे खिड़याणी रखलो सदा दास आपके चरणों में
दया करो मात् भंवरजाई…
सुखधाम धिराणी तारण बेगी आई
श्री इन्द्र बण्या प्रकाश सगत करणी सुखधाम सजावत है
अन्नदाता मोपे ऐसी किरपा करो माई
म्हारीअरज सुणो प्रकाश मात
प्रकाश मां किरपा करो जी आप ही घणी
अन्नदाता थारी महीमा गाऊं मां प्रकाश
भगता रे भावे जी ओ मन, प्यारो लागे औरण वन
रट भोला मनड़ा मात प्रकाश को….
अम्बे माँ आपश्री प्रकाश जगत में,सब सगत्यां सिरताज
मेरी बेल्या मत तजो मां थांरो विरद गरीब नवाज
अन्नदाता थासूं भाळू माँ प्रित पुराणी
सज रियो श्री करणी सुखधाम
श्री करणी सुखधाम सोवणो,आईदान रे बास रे
काळो गोरो नृत्य करै मंढ आगे !
भैरूँ आवज्यो दोनों रै भाई चाह छै घणीं !!
करो करनादै मोहै काबो ! होवे नहीं दूर से आबो
अवतरि औरूं आविया,गांव खुड़द घंटियाल !
इन्द्रबाई आये कृपा करि आप
अम्बा हे गढ़ मानहु स्वर्ग बसायो
अम्बा मोरी श्री हिंगलाज सुथान,भई नव-लाख भेऴीजी
अरज इन्द्रबाई सूं आखां जी !
धिन धिन धनियाणी,सांची सुरराणी,मोटी मावड़ी
अर्ज सुण आज्यो भैरव नाथ
शरणे लेल्यो सा थारां चरण चंडी रा अगवाण मतवाला म्हाने शरणे लेल्यो सा
अद्भुत परचो आपरो माँ मनडो गाय रयो है
अम्बे जी तो इंद्र सगत अवतारी
अम्बे जी रो अचल अखाड़ों सुचल हैं
करणादे री गोदी में खेल करूँ छुंमाँ रे चरणा ध्यान धरूँ छुं
आज खिड़िया कुल अवतरी सगत माँ प्रकाश जी
इण कलजुग रे मांय अम्बिका कोई न साई जी आरत वाणी सुण खिड़यानी दौड़ी आई जी
जी म्हारे अन्नदाता स्यूँ आछो लागे आईदान रो बास
मनड़ा रट मेहाई मात देशाणा वाळी रे,
धिन धिन धनियाणी,सांची सुरराणी,मोटी मावड़ी
SHREE KARNI VIRAT ROOP
जो प्रकाश जपे उठता झुक
बिन बोल्या अम्बे कैसे कहूँ खिड़ियाणी म्हारे मन री आश
मां में थारो छूं थारो जननी थारो छूं थारो
मिट रह्यो म्हारो मान खिड़ीयाणी अब करुणा सुनलयो कान.
म्हाने राखलयो अन्नदाता थारे पास,प्रकाश मात थारा चरणा रे
करती सभा जद करनला,जुगति जगत री जांचती
दुबारे छक आज्यो जी डाढाळघणी खम्मा घंटियाळ।
करणी कदै ना किन्ही इतनी तूं देर आगे
आज म्हांरे इंदर अम्बे घर आसी
करुणामयी किनयाणी मोटो आसरो है थारो
लाज रख लाल धजा वाळी मात प्रकाश महमाई
धुजया तीनो लोक धरा सब माँ करणी बण्या काळी
।। प्रभाती करनल मां री ।।
मन तरसे मढ जाऊं देशाणे मात मुर्त मन मोवणी
!!म्हाने दरस दिखावण आवज्यौ!!
जगदम्बे मैया, धरता में तेरा देवी ध्यान
सगत मात प्रकाश सहाई,
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अन्नदाता के चार धाम की यात्रा सम्पूर्ण होने पर कवित
सगत मात प्रकाश सहाई,
।। प्रभाती करनल मां री ।।
करणी कदै ना किन्ही इतनी तूं देर आगे